सीएए-एनआरसी और एनपीआर के खिलाफ जेएनयू छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष और वामपंथी नेता कन्हैया कुमार गुरुवार को पटना के गांधी मैदान में हुंकार भरेंगे. इस रैली को संविधान बचाओ, नागरिकता बचाओ महारैली का नाम दिया है. कन्हैया की रैली में सामाजिक, राजनीतिक के अलावा विभिन्न क्षेत्रों से जुड़े युवा चेहरे और बॉलीवुड की लगभग एक दर्जन बड़ी हस्तियां शामिल हो सकती हैं.
पटना के गांधी मैदान में एनपीआर, एनआरसी व सीएए के विरोध में होने वाली महारैली को लेकर सुरक्षा को लेकर एक हजार से अधिक मजिस्ट्रेट, पुलिस पदाधिकारियों व जवानों की तैनाती की गई है. रैली में शामिल होने वाले लोगों की जांच गेट पर करने के बाद ही उन्हें गांधी मैदान के अंदर जाने की व्यवस्था की गई है. वहीं, मंच पर जाने वाले विशिष्ट लोग गेट नंबर एक से एंट्री कर सकेंगे.
कन्हैया ने 30 जनवरी से शुरू की थी यात्रा
बता दें कि कन्हैया कुमार ने महात्मा गांधी की शहादत दिवस यानी 30 जनवरी से बिहार के पश्चिम चंपारण से जन गण यात्रा शुरू की थी, जिसका समापन गुरुवार को पटना के गांधी मैदान में समापन होगा. कन्हैया कुमार इस रैली के जरिए सीएए-एनआरसी और एनपीआर के खिलाफ मोर्चा खोले हुए थे. जन गण यात्रा के दौरान कन्हैया के ऊपर कई बार हमले भी हुए हैं. बिहार के गोपालगंज और छपरा में उनके काफिले पर पत्थरबाजी की घटनाएं हुई थीं.
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जन गण यात्रा पहले ही दिन सुर्खियों में आ गई थी जब 30 जनवरी को चंपारण के भितिहरवा गांधी स्मारक स्थल में कन्हैया कुमार को प्रशासन ने जाने से रोक दिया गया था. सुरक्षा कारणों का हवाला देते हुए कथित तौर पर पुलिस ने उन्हें हिरासत में ले लिया था. पुलिस ने उन्हें उस दिन सभा करने की इजाजत नहीं दी लेकिन थोड़ी ही देर में कन्हैया को हिरासत से मुक्त भी कर दिया था.
इसके बाद कन्हैया ने गांधी आश्रम के बाहर ही अपने समर्थकों को संबोधित किया और वहीं से जन गण यात्रा की शुरुआत कर दी. इससे बाद से कन्हैया कुमार लगातार बिहार के अलग-अलग जिलों में सीएए-एनआरसी और एनपीआर के खिलाफ रैली कर रहे थे, जिनमें बड़ी तादाद में लोग भी आ रहे थे.
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लोकसभा चुनाव में मिली हार के बाद ये पहला मौका है जब कन्हैया कुमार बिहार की राजनीति में लगातार सक्रिय दिखे. कन्हैया अपनी यात्रा में जिस तरह से एनआरसी, एनपीआर और एनआरसी के साथ स्थानीय मुद्दों को उठाया है, जिसे साल के आखिर में होने वाले बिहार विधानसभा चुनाव के मद्देनजर देखा जा रहा है. इस लिहाज से भी पटना की रैली बहुत मायने रखती है.